indian railway : इस बारे में हम आपको एक घटना का उदाहरण देते हैं, जिसमें एक समान परिस्थिति आई थी। बलिया, बेगूसराय के अशोक कुमार (नाम बदला गया) कानपुर में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। उनके परिवार में बीते अप्रैल में एक शादी का आयोजन था।
इसके लिए, उन्होंने तीन महीने पहले ही वैशाली एक्सप्रेस (Vaishali Express) ट्रेन की स्लीपर क्लास (Sleeper Class) में तीन बर्थ की बुकिंग करवाई थी। तय दिन पर, जब वह ट्रेन में सफर करने जा रहे थे, उनके बुक किए गए बर्थ पर किसी अन्य यात्री ने कब्जा कर लिया था, और वह उन्हें बैठने की अनुमति नहीं दे रहे थे। ऐसे में, अशोक ने कैसे समस्या का समाधान किया, यह विवरण दिया जाता है।
अक्सर ट्रेन स्लीपर कोच में क्या होता है- indian railway
उत्तर भारत में चल रही ट्रेनों में किसी वैध पैसेंजर की सीट या बर्थ पर अवैध कब्जा जमाना कोई नई बात नहीं है। यह समस्या अक्सर प्रसिद्ध ट्रेनों और दिन के समय में चलने वाली ट्रेनों में दिखती है। पहले, यह समस्या सिकेंड क्लास और स्लीपर क्लास में होती थी। अब तो थर्ड एसी और सेकंड एसी क्लास में भी अवैध पैसेंजर बैठ जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, यात्री किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं, जिन्होंने महीने पहले ही रिजर्वेशन कराया है।
अशोक के साथ क्या हुआ था – indian railway
अशोक का उद्देश्य था कानपुर से बिहार के बरौनी तक जाना। उनकी पत्नी और बच्चे के साथ वैशाली एक्सप्रेस में तीन बर्थ का रिजर्वेशन था। जब उन्होंने तीन बजे कानपुर में ट्रेन में सवार होने का काम किया, तो उन्होंने देखा कि उनकी बर्थ पर कोई अन्य पैसेंजर सो रहा था। अशोक ने उनसे अपने बर्थ को खाली करने के लिए कहा, लेकिन अवैध कब्जा करने वाला यात्री ने इसे मना कर दिया।
उस व्यक्ति का कहना था कि ट्रेन की टिकट चेकर (TTE) ने उन्हें इस बर्थ को दिया है। जब अशोक ने टिकट की पुष्टि करने के लिए कहा, तो एक यात्री ने जनरल या सेकेंड क्लास का टिकट दिखाया, जबकि दूसरे ने प्लेटफार्म टिकट दिखाया। उस यात्री ने कहा कि टीटीई ने उनसे जुर्माना भी लिया है।
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परिवार को तो बैठने की जगह दो – indian railway
अशोक के साथ पूरा परिवार था। उन्होंने उस सोते हुए यात्री से सीट देने की अपील की, लेकिन अवैध कब्जा जमाने वाले व्यक्ति के दिल में यह राज नहीं आया। अशोक ने रात के समय टीटीई की खोज की, लेकिन उन्हें कहीं भी नहीं दिखा। इस बीच, उन्होंने स्लीपर डिब्बे के फर्श पर एक चादर बिछाई और अपनी पत्नी और बच्चों को वहीं बैठाया। वह जगह, जहां उनकी सीट थी, वहां अवैध कब्जा करने वाले व्यक्ति ने अपना सामान भर लिया था, लेकिन वह इसे रखने की अनुमति नहीं दी।
एक सहयोगी ने मदद की – indian railway
अशोक ने अनऑथराइज्ड पैसेंजर से कहा-सुनी में आस पास के यात्री भी चौंक गए। तब एक सहयात्री ने अशोक को मदद करने का प्रस्ताव दिया। उसने अशोक के मोबाइल फोन में Rail Madad ऐप डाउनलोड किया। फिर उसी ऐप का उपयोग करके पीएनआर नंबर (PNR Number) देकर दो कंप्लेन्ट्स दर्ज की। पहली कंप्लेन्ट रेलवे के RPF विभाग के पास भेजी गई। दूसरी कंप्लेन्ट रेलवे मंत्रालय (Railway Board) को भेजी गई, जिसमें बताया गया कि कानपुर में यात्री के चढ़ने के बाद टीटीई नहीं दिखे।
कम्प्लेन होते ही 15 मिनट में टीटीई आ गया – indian railway
अशोक ने रेल मदद (Rail Madad) पर कंप्लेन किये हुए बस 15 मिनट भी नहीं हुए, कि दो-तीन टीटीई तुरंत ही आकर्षित होकर डिब्बे में पहुंचे। उन्होंने उन अनऑथराइज़्ड पैसेंजर्स को बर्थ खाली करवाने के लिए कहा। अशोक को उन बर्थ पर कब्जा मिल गया। उसके बाद, टीटीई टीम के इंचार्ज ने अशोक से कंप्लेन का मामला ऐप पर सफलतापूर्वक सुलझाने का अनुरोध किया। उन्होंने अशोक को कंप्लेन को ऐप पर रिपोर्ट करने की सलाह भी दी। इसके अलावा, टीटीई ने अपना फोन नंबर भी दिया कि आगे किसी प्रकार की कोई दिक्कत आए तो उन्हें कॉल कर सकें।
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आपके साथ भी ऐसा हो तो आप क्या करें
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यदि किसी यात्री की रिजर्व सीट या बर्थ पर किसी अवैध व्यक्ति ने कब्जा किया हो, तो सबसे पहले इसकी जानकारी उस ट्रेन के टीटीई तक पहुंचानी चाहिए। यदि यह नहीं हो पा रहा है, तो आपको उस ट्रेन के मैनेजर से बात करनी चाहिए। अगर ट्रेन मैनेजर से भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है, तो आप रेल मदद वेबसाइट https://railmadad.indianrailways.gov.in/madad/final/home.jsp पर कंप्लेन दर्ज कर सकते हैं। आपके पास यदि इच्छा हो, तो 139 पर भी कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।